Jeevan Ke Arth Ki Talaash Me Manusya (Hindi Book) By Viktor Frankl
Jeevan Ke Arth Ki Talaash Me Manusya (Hindi Book) (Man’s Search for Meaning) is a 1946 book by Viktor Frankl chronicling his experiences as a prisoner in Nazi concentration camps during World War II, and describing his psychotherapeutic method, which involved identifying a purpose in life to feel positive about, and then immersively imagining that outcome.
यदि आप इस वर्ष केवल एक ही पुस्तक पढ़ना चाहते हों, तो निश्चित तौर पर वह पुस्तक डॉक्टर फ्रैंकल की ही होनी चाहिए। – लॉस एंजेल्स टाइम्स मैंस सर्च फॉर मीनिंग, होलोकास्ट से निकली एक अद्भुत व उल्लेखनीय क्लासिक पुस्तक है। यह विक्टर ई.फ्रैंकल के उस संघर्ष को दर्शाती है, जो उन्होंने ऑश्विज़ तथा अन्य नाज़ी शिविरों में जीवित रहने के लिए किया। आज आशा को दी गई यह उल्लेखनीय श्रद्धांजलि हमें हमारे जीवन का महान अर्थ व उद्देश्य पाने के लिए एक मार्ग प्रदान करती है। विक्टर ई.फ्रैंकल बीसवीं सदी के नैतिक नायकों में से है। मानवीय सोच, गरिमा तथा अर्थ की तलाश से जुड़े उनके निरिक्षण गहन रूप से मानवता से परिपूर्ण है और उनमें जीवन को रूपांतरित करने की अद्भुत क्षमता है।